शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012







इतनी क्रूरता निर्दयता   देख कर मन बहुत व्यथित हो रहा है,खुद पर शर्म भी आ रही है के हम इंसान होते हुए भी इन्हें बचा नहीं सकते , क्या कुछ भी नहीं किया जा सकता इन्हें बचाने के लिए ???????????

7 टिप्‍पणियां:

  1. ये तो मानवता की हद हो गई,क्या इंसान पैसा कमाने के लिए इतना निर्दयी हो सकता है,....
    आवंती जी,बहुत दिनों से आपका मेरे पोस्ट में आना नही हुआ.
    आइये स्वागत है,....

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  2. धर्मेन्द्र घोषी गंज वासौदा

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  3. दुनिया में मानवता धीरे धीरे ख़तम होती जा रही है यही है कलयुग
    Maurya Vansh

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