बुधवार, 14 मार्च 2012

गिरीश पंकज जी के एक उपन्यास के बारे में पढ़ा ख़ुशी हुई पढ़ कर 
आप भी जानिये उन के उपन्यास के बारे में उन ही के शब्दों में 
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२४० पेज के इस उपन्यास में भारतीय गायों की दुर्दशा का वर्णन है. अनेक ज्ञात-अज्ञात गो-कथाये भी है. जिन्हें अपने हिसाब से कुछ और रोचक बनाने की कोशिश की है. उपन्यास में मुज़फ्फर भाई नामक एक पात्र है जो गो सेवा में रत है. उसकी अपनी गौ शाला है. मुझे सुखद आशचर्य हुआ जब जोधपुर प्रवास के दौरान पता चला कि वहा एक मुस्लिम बंधु ''प्रगतिशील मुस्लिम गौ शाला' चला रहे है. जो कल्पना मैंने की, उसे सार्थक देखकर खुशी हुई.गो ह्त्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध की मांग भी मैंने पात्रों के माध्यम से उठाई है. उपन्यास सर्वप्रिय प्रकाशन, दिल्ली से छपा है. कीमत १५०/-. रायपुर में वैभव प्रकाशन में उपलब्ध है. प्रकाशक डा.सुधीर शर्मा (9425358748) से संपर्क किया जा सकता है.
गिरीश पंकज 
 
 

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